जब शब्दों ने एक सूफी की खामोशी को आवाज़ दी – ‘द मेस्ट्रो ऑफ मर्सी’

‘Awaz The Voice’ reports on Mujeeb Jaihoon’s “The Maestro of Mercy”, a collection of anecdotes on the extraordinary life of Shaykh Muhyiddeen (June 18 2025).
 

भारतीय मूल के प्रसिद्ध लेखक, कवि और सांस्कृतिक चिंतक मुजीब जैहून ने हाल ही में अपनी नई और गहन साहित्यिक कृति “द मेस्ट्रो ऑफ मर्सी” का विमोचन किया.यह किताब केरल के मालाबार क्षेत्र के एक महान सूफी संत शेख मुहीद्दीन अल-शादिली—जिन्हें लोग प्रेम और श्रद्धा से अथिप्पट्टा मोइदीन कुट्टी मुसलियार के नाम से जानते हैं—के जीवन, दर्शन और विरासत की एक अत्यंत आत्मीय जीवनी है.

137 पृष्ठों की यह पुस्तक पेपरबैक, हार्डकवर और किंडल संस्करणों में उपलब्ध है.यह कोई साधारण जीवनी नहीं, बल्कि यह एक प्रेम, भक्ति और स्मृति का दस्तावेज़ है—एक ऐसे संत को समर्पित श्रद्धांजलि, जिनकी सादगी, दरियादिली और कुरआनी सिद्धांतों के प्रति निष्ठा ने हजारों-लाखों दिलों को छुआ.

मुजीब जैहून ने इसे एक “श्रद्धा का लेखन” कहा है.वे लिखते हैं, “उनकी उदारता की गहराई का वर्णन करना मानो एक प्याले में सागर समेटने जैसा है.” यह एक ऐसा प्रयास है जिसमें लेखक ने शब्दों के माध्यम से उस संत के व्यक्तित्व को जीवंत किया है, जिनकी उपस्थिति भले ही शांत थी, लेकिन उनका प्रभाव अत्यंत गहरा और स्थायी रहा.

“द मेस्ट्रो ऑफ मर्सी” सूफी परंपरा की आत्मा को न केवल उजागर करता है, बल्कि यह बताता है कि कैसे एक व्यक्ति ने प्रचार-प्रसार से दूर रहकर, शांति, शिक्षा और सेवा को अपने जीवन का मिशन बनाया.शेख मुहीद्दीन ने प्रसिद्धि की ओर पीठ मोड़ी और गुप्त रूप से समाज की सेवा करते रहे—एक ऐसा जीवन जो दिखावे और अहंकार के खिलाफ एक मौन क्रांति था.

किताब में दर्ज व्यक्तिगत किस्से, संस्मरण और ऐतिहासिक झलकियाँ पाठकों को शेख के जीवन की उस गहराई तक ले जाती हैं, जहाँ वह एक आध्यात्मिक मार्गदर्शक के रूप में उभरते हैं.वे न केवल एक धार्मिक शिक्षक थे, बल्कि वे समाज के हर वर्ग के लिए एक स्नेहिल और दयालु आश्रय भी थे.

जैहून इस बात पर दुख व्यक्त करते हैं कि मलयाली समाज ने शेख की उपस्थिति में उनके ज्ञान और मार्गदर्शन का भरपूर लाभ नहीं उठाया.वे लिखते हैं कि यह पुस्तक उनके योगदान को समझने और मान्यता देने का एक विनम्र प्रयास है—ताकि वह खजाना जो एक समय अनदेखा रहा, अब आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बन सके.

लेखक के बारे में:

मुजीब जैहून को आध्यात्मिक विषयों को काव्यात्मक भाषा और सांस्कृतिक चेतना के साथ प्रस्तुत करने के लिए जाना जाता है.उनका लेखन यात्रा वृत्तांतों, कविताओं और सामाजिक समालोचना से भरपूर है, जिसे फ्रेंच, इतालवी, तमिल, उर्दू और मलयालम जैसी कई भाषाओं में अनूदित किया जा चुका है.

श्री नारायण गुरु श्रेष्ठ पुरस्कार (2022) और यूएई राष्ट्रीय पुरस्कार (2024) जैसे प्रतिष्ठित सम्मानों से नवाज़े गए जैहून का लेखन आज दुनियाभर के राजनेताओं, विद्वानों और आध्यात्मिक नेताओं के बीच समान रूप से सराहा जाता है.

“द मेस्ट्रो ऑफ मर्सी” सिर्फ एक संत की जीवनी नहीं, बल्कि दया, सेवा और अध्यात्म की विरासत का जीवंत चित्रण है. यह पुस्तक उन सभी के लिए एक अमूल्य भेंट है जो इस्लामी सूफी परंपरा की असली रूह को समझना चाहते हैं—वह परंपरा जो प्रेम, सौहार्द और विनम्रता की बुनियाद पर टिकी है.

मुजीब जैहून की यह पुस्तक निःसंदेह आज के दौर में शांति और समर्पण की तलाश में भटकते समाज के लिए एक नायाब रौशनी बनकर सामने आई है.

https://www.hindi.awazthevoice.in/literature-news/when-words-gave-voice-to-the-silence-of-a-sufi-the-maestro-of-mercy-61465.html

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